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फसल का बीमा

उत्तर प्रदेश के 35 जनपदों के किसानों को राहत, मिलेगा फसल नुकसान का मुआवजा

उत्तर प्रदेश के 35 जनपदों के किसानों को राहत, मिलेगा फसल नुकसान का मुआवजा

पिछले दिनों हुई बारिश से उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में फसलें बुरी तरह बर्बाद हो गई। एक रिपोर्ट की माने तो उत्तर प्रदेश में 2 लाख 35 हजार किसानों की फसलों का नुकसान हुआ है जिसके चलते राज्य सरकार ने फैसला किया है कि, इन किसानों की फसलों का नुकसान वह मुआवजे के रूप में अदा करेगी। दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने बारिश से बर्बाद हुई फसलों का आकलन किया जिसके बाद किसानों को लगभग 78 करोड़ 88 लाख रुपए मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं। बता दें, इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को उच्च स्तर पर बैठक की। इसी दौरान बैठक में शामिल हुए अपर मुख्य सचिव राजस्व मनोज कुमार सिंह के मुताबिक, 35 जिलों में 2,35,122 ऐसे किसान पाए गए जिनकी फसल बारिश के चलते बर्बाद हो गई। कहा जा रहा है कि, जिन किसानों की फसल बर्बाद हुई है उन किसानों को करीब 78 करोड़ 88 लाख रुपए धनराशि दी जाएगी। बता दें, 17, 18 से 19 अक्टूबर के दौरान हुई भारी बारिश के चलते किसानों की फसले बुरी तरह बर्बाद हुई है। ये भी पढ़े: कृषि कानूनों की वापसी, पांच मांगें भी मंजूर, किसान आंदोलन स्थगित इस दौरान किसानों की फसले पूरी तरह से पक गई थी और इसे खेत से काटना भी शुरू कर दिया था लेकिन इसी बीच बारिश किसानों की दुश्मन बन गई और खेत में कटी पड़ी और उगी हुई फसलों को बर्बाद करके चली गई। ऐसे में किसान बुरी तरह परेशान हो रहे थे लेकिन इसी बीच उत्तरप्रदेश सरकार ने किसानों का हौसला बनाए रखा और उन्हें मुआवजा देने की बात कही। आइए जानते हैं किन किसनों को मिलेगा ये मुआवजा? मुआवजा

इन जिलों में हुआ भारी नुकसान

रिपोर्ट की माने तो उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में करीब 37,848 किसानों की फसलें बर्बाद हुई है। वहीं यदि सबसे कम नुकसान के बारे में बात करें तो श्रावस्ती जिले में सबसे कम फसलों का नुकसान हुआ है। इसी को ध्यान में रखते हुए सीएम का कहना है कि वह किसान को जल्द से जल्द इस मुआवजे की राशि प्रदान करेंगे। रिपोर्ट की मानें तो मुख्यमंत्री ने करीब राज्य के 35 जनपदों के किसानों को मुआवजा देने की बात कही है।

इन जिलों के किसानों को मिलेगा मुआवजा

35 जनपदों में महाराजगंज, गोरखपुर, संत कबीर नगर, कुशीनगर, बलिया, सीतापुर, मिर्जापुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, बहराइच, झांसी, बाराबंकी, वाराणसी, गाजीपुर, खीरी, ललितपुर, जालौन, लखीमपुर ,कौशांबी, चंदौली, बस्ती, बिजनौर, गोंडा, अंबेडकर नगर, बांदा, चित्रकूट, बलरामपुर, पीलीभीत, कानपुर देहात, औरैया, फर्रुखाबाद, भदोही, श्रावस्ती, आगरा और सुल्तानपुर जैसी जनपद का नाम शामिल है।

33% से ज्यादा खराब फसलों को ही मिलेगा मुआवजा

बता दें, यह राशि सिर्फ उन्हीं किसानों को प्राप्त होगी जिनकी फसल 33% से ज्यादा खराब हो चुकी है। इतना ही नहीं बल्कि राज्य सरकार की तरफ से सिर्फ उन्हीं किसानों को यह मुआवजा देने का प्रावधान भी है। इसके अलावा किसानों को यह मुआवजा तब मिलता है जब उनकी फसलें ओलावृष्टि, पाला बाढ़ या फिर शीतलहर के चलते बर्बाद हो गई हो। किसानों को 2 हेक्टेयर तक ही मुआवजा मिलता है। बता दें जिन किसानों की सिंचित भूमि होती है उन्हें 4500 रुपए बल्कि असंचित भूमि पर 9 हजार रुपए दिए जाते हैं।

 बीमा कराई  गई फसलों को पहले मिलेगा मुआवजा

बता दें कि, इस तरह का मुआवजा उन किसानों को प्राप्त होता है जिन्होंने अपनी फसल का बीमा करवाया होता है। दरअसल, इसके लिए जब फसलों का आकलन करने के लिए बीमा कंपनी अधिकारी आते हैं तब किसान को अपनी फसल का बीमा करवाना होता है। इसके बाद बीमा अधिकारी द्वारा किसान की फसलों का आकलन किया जाता है, इसके बाद मुआवजे की राशि प्रदान की जाती है। हालांकि यह राशि सिर्फ उन्ही किसानों को प्रदान की जाती है जिनकी फसलें 33% से अधिक खराब हो चुकी।

जिन लोगों ने नहीं करवाया होता है फसल का बीमा

बता दें जिन किसानों ने उनकी फसलों का बीमा नहीं करवाया होता है ऐसे किसानों को मुआवजा मिलने में थोड़ी दिक्कत होती है। हालांकि जांच के बाद हर किसी को मुआवजे की राशि मिल जाती है। रिपोर्ट की माने तो उत्तर प्रदेश के रामपुर में उड़द की फसलें भी बुरी तरह से चौपट हो गई है। दरअसल 17, 18 और 19 अक्टूबर को बारिश के दौरान उड़द की फसलों को ज्यादा नुकसान हुआ। क्योंकि बारिश रुक-रुक कर हो रही थी ऐसे में उड़द पर इसका बुरा प्रभाव हुआ। इतना ही नहीं बल्कि उन किसानों को उड़द का अधिक नुकसान हुआ जिनकी फसलें पहले से ही पक गई थी और उन्होंने इस फसल को काटकर अपने खेत में ही छोड़ दी थी। ऐसे में उड़द खेत में ही बुरी तरह सड़ गया और रुक-रुक कर बारिश होने के चलते इसे धूप भी नहीं मिली जिसके चलते उड़द की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। रिपोर्ट की माने तो रामपुर में करीब 15% से अधिक उड़द की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई है। इतना ही नहीं बल्कि इसमें कुछ ऐसे भी किसान शामिल है जिन्होंने अपनी फसल का बीमा नहीं करवाया था। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि इन किसानों की फसल की भरपाई कैसे होगी? हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच के निर्देश दे दिए हैं। बता दें, उत्तर प्रदेश में बेमौसम बारिश हुई, वहीं रामगंगा जैसी नदी में बाढ़ आने के कारण उड़द की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई। ये भी पढ़े: हरियाणा में फसल बीमा 31 जुलाई तक कृषि अधिकारी नरेंद्र पाल के मुताबिक, रामपुर जिले में करीब 35 हेक्टेयर पर उड़द की खेती की जाती है। इसी बीच नरेंद्र पाल ने किसानों से मुलाकात की और उनकी फसलों का आकलन भी किया। जिन किसानों की उड़द की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई उन्हें नरेंद्र पाल ने आश्वासन दिया है कि वह जल्दी ही इसका मुआवजा दिलाने में मदद करेंगे। रिपोर्ट की मानें तो जिन किसानों ने अपनी फसल का बीमा करवाया है उन्हें बीमा कंपनी द्वारा जल्दी ही मुआवजा प्रदान हो जाएगा लेकिन जिन लोगों ने अपनी फसल कम बीमा नहीं करवाया है, इसके लिए पहले तहसीलदार उनकी फसलों का आकलन करेंगे, इसके बाद ही उन्हें किसी प्रकार की मदद मिल पाएगी।

फसल बीमा के नियम में बदलाव

बता दें, जिन फसलों का बीमा हो चुका है उनके लिए नियमों में भी कुछ बदलाव किया गया है। नए नियम के अनुसार यदि किसी किसान की फसल का नुकसान प्राकृतिक आपदा के चलते हुआ हो तो उसे बीमा कंपनी द्वारा मुआवजा प्रदान होगा। यदि किसी किसान का गेहूं काटने से पहले ही आग लग जाती है फिर बारिश हो जाती है जिसके चलते फसल बर्बाद हो जाती है। इस स्थिति में न सिर्फ जिस किसान की फसल बर्बाद हुई है उसे इसका मुआवजा मिलता बल्कि आसपास के किसान भी इस योजना का लाभ उठा लेते हैं। दरअसल जिन लोगों की फसलें बर्बाद नहीं होती है उन किसानों को भी इस योजना में पैसे मिल जाते थे, यही वजह है कि फसल बीमा में नए नियम लागू किए गए हैं। नए नियम के मुताबिक, सिर्फ वही किसान इस योजना का लाभ उठा सकता है जिसका नुकसान हुआ है। इतना ही नहीं बल्कि जिस किसान का नुकसान हुआ है उसे अपने कुछ जरूरी जमीन से जुड़े कागजात भी दिखाने होते हैं। इसके बाद उसे बैंक से भी संपर्क करना होता है तभी कहीं जाकर उसे यह राशि प्राप्त होती है। ये भी पढ़े: फसल बीमा योजना का लाभ लें किसान आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, जिन किसानों के पास क्रेडिट कार्ड है उन्हें फसल बीमा योजना की आवश्यकता नहीं होती। इसके लिए सिर्फ जिस किसान की फसल बर्बाद हुई है उसे टोल फ्री नंबर 18001030061 पर अपनी फसल की सूचना देनी होती है। इसके अलावा किसान को कृषि विभाग के अधिकारियों को भी इस बात की जानकारी देनी होती है, जिसके बाद ही वह फसल बीमा योजना का लाभ उठा सकते हैं।
कृषि विभाग द्वारा जारी अंतिम तिथि से पहले फटाफट करवाएं फसल बीमा

कृषि विभाग द्वारा जारी अंतिम तिथि से पहले फटाफट करवाएं फसल बीमा

भारत में बहुत से लोग खेती-बाड़ी में लगे हुए हैं, आजकल हम बार-बार किसी ना किसी प्राकृतिक आपदा या फिर किसी अन्य दुर्घटना के चलते फसलों के खराब होने की खबर सुनते रहते हैं। ऐसे में हमारे देश में समय-समय पर फसलों का बीमा करने के लिए कई तरह की योजनाएं सामने लाई जाती रही हैं।

अगर किसान फसल का बीमा करवाते हैं :

● बीमा के तहत आने वाली कोई भी फसल अगर प्राकृतिक आपदा, कीट या बीमारी के कारण बर्बाद होती हैं, तो किसानों को उसके लिए वित्तीय समर्थन दिया जाता है। ● इन योजनाओं के तहत किसानों को एडवांस तरीके और अच्छी टेक्नोलॉजी के माध्यम से कृषि करने के लिए भी प्रेरित किया जाता है। ● अगर किसी वर्ष फसल अच्छी नहीं हो पाती है, तो वित्तीय तौर पर यह बीमा योजनाएं किसानों को स्थायित्व प्रदान करती हैं। ● कृषि क्षेत्र में ऋण के प्रभाव को सुनिश्चित करना। ● किसानों को एक स्थाई आय देकर उनके हितों की रक्षा करना।

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हाल ही में आई खबर के अनुसार छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के किसानों के लिए खुशखबरी है। शासन कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने मौसम आधारित फसल बीमा कराने के लिए तिथि निर्धारित कर दी है। कम तापमान, अधिक तापमान, ओलावृष्टि, और बेमौसम की बरसात आदि जैसी चीजों से बचाने के लिए यह एक पुनर्गठित बीमा योजना है। यह बीमा बागवानी फसलों के लिए करवाया जा सकता है। रबी की फसलों के लिए बीमा करवाने की अंतिम तिथि 15 दिसंबर 2022 रखी गई है। इस योजना के तहत जिन भी किसानों ने बागवानी फसलों की खेती की है, अगर प्राकृतिक आपदा के चलते उनकी फसल बर्बाद होती है तो वह बीमा के तहत वित्तीय लाभ उठा सकते हैं। नियम के अनुसार जो भी किसान बीमा करवा रहे हैं, उन्हें सूची में दी गई फसलों के अनुसार निर्धारित कुल बीमित राशि का अधिकतम 5 प्रतिशत या वास्तविक प्रीमियम जो भी कम हो उसे जमा करना होगा। किसान भले ही ऋणी हों या अऋणी यह राशि दोनों को ही जमा करना अनिवार्य हैं।

अऋणी किसान बीमा कैसे करवाएं?

अऋणी किसानों को फसल लगाने का एक प्रमाण पत्र देना होगा, जिसे वह स्वघोषित कर सकते हैं। इसके अलावा आधार कार्ड, बैंक पासबुक जिसमें उनका आईएफएससी कोड इत्यादि दिया गया हो उसे जमा करना अनिवार्य है। इन सब कागजों के जमा करवाने के बाद किसान बीमा करा सकते हैं।

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बीमा के लिए सूचित फसलों के नाम

मौसमी फसलें जो बीमा के लिए सूचित की गई हैं वह है टमाटर, बैगन, फूलगोभी, पत्तागोभी, प्याज और आलू। इस सेंटर, बजाज आलियांस जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी के प्रतिनिधि, लोक सेवा केन्द्र, बैंक शाखा, सहकारी समिति और विकासखण्ड में स्थापित शासकीय आदि संस्थाओं को यह अधिकार दिया गया है, कि वह किसानों को बीमा प्रदान कर सकती हैं। देश में यह सुनिश्चित किया जा रहा है, कि बीमा से जुड़ी हुई सारी प्रक्रियाएं किसानों के लिए आसान की जा सकें। साथ ही, इस बात पर भी जोर दिया जा रहा है, कि एक बार फसल के बर्बाद होने के बाद बीमा की राशि को जारी करने में बहुत ज्यादा समय ना लगे। ताकि किसानों को कम से कम परेशानी का सामना करना पड़े।